तुझाच मी
या वर्षी 'दोनाचे चार' हात होण्याचा योग आला आहे आणि मग 14 फेब्रुवारी म्हणजेच 'व्हॅलेंटाईन-डे' च्या मुहुर्तावर मी 'होणार्या ही' ला मी सध्या लिहिलेल्या काही चारोळ्या भेट दिल्या.
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या चारोळीसाठीची मूळ चारोळी - चंद्रशेखर गोखले यांच्या 'मी-माझा' मधली :
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मूळ चारोळी 'मी-माझा' मधली :
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मूळ चारोळी 'मी-माझा' मधली :
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तश्या ह्या काही दिवस आधीच सुचल्या, पण मुहुर्तानुसार भेट दिल्या :-)
'तुझाच मी' असे शिर्षक देण्यामागचा एक हेतू म्हणजे 'दोनाचे चार' साठीचे प्रयत्न आता संपले आहेत हे दर्शवण्यासाठी :-) आणि 3-4 चारोळ्यांमध्ये चंद्रशेखर गोखले यांच्या 'मी माझा' मधल्या काही चारोळ्यांचे यमक वापरले आहेत.
जेव्हा जेव्हा असे साम्य आहे तेव्हा original चारोळी सोबत दिलीच आहे.
'मी माझा' चारोळ्यांचा तर मी चाहता आहेच. त्या सर्व चारोळ्या ईथे आहेत: http://www.meemaza.com/
© मिलिंद
http://gulakand.blogspot.com/
2 comments:
awesome.. i like your chsrolya a lot more than the ones they are inspired from.. probably because yours are fresh and a happy feeling attached to them :) good work.. guess tuzi ti would be very happy :)
thanks.. yes she is happy :-)
credit goes to her too..
तिच्यामुळेच तर सुचल्यात !
:-)
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